देहरादून: चकराता रोड चौड़ीकरण से प्रभावित व्यापारियों को आर्थिक राहत देने में मेहरबान शासन अन्य मामलों में सख्ती बरतने के मूड में है। चौड़ीकरण का कार्य शासनादेश के मुताबिक ढील नहीं दी जाएगी। वहीं व्यापारियों से रजिस्ट्री शुल्क और अन्य विधिक खर्च नहीं लिया जाएगा। इस बाबत वित्त ने बुधवार को सहमति जता दी।
चकराता रोड चौड़ीकरण मामले में शासन को हाईकोर्ट के रुख से राहत मिली है। हाईकोर्ट के निर्देश के मुताबिक उक्त संबंध में जारी किए गए शासनादेश को अमल में लाया जाएगा। बीते दिनों इस संबंध में मुख्य सचिव सुभाष कुमार की अध्यक्षता में आयोजित बैठक स्थगित हो गई थी। अलबत्ता, आवास प्रमुख सचिव पीसी शर्मा ने बैठक में भाग लेने पहुंचे तमाम अधिकारियों को हाईकोर्ट के निर्देशों पर अमल करने के निर्देश दिए। इसके मुताबिक व्यापारियों को अब सेट बैक के लिए दो-दो मीटर जगह छोड़नी पड़ेगी। प्रमुख सचिव पीसी शर्मा के मुताबिक शासनादेश पर अमल किया जाएगा।
वहीं रोड चौड़ीकरण को लेकर सख्त शासन व्यापारियों को अन्य राहत देने को कदम बढ़ा रहा है। कैबिनेट के फैसले के मुताबिक चौड़ीकरण से प्रभावित व्यापारियों को पुनर्वासित किए गए स्थान के लिए रजिस्ट्री शुल्क नहीं देना पड़ेगा। यह शुल्क अधिकतम दस हजार रुपये है। स्टांप खरीदने व अन्य विधिक खर्च भी आवंटियों से नहीं लिए जाएंगे। रजिस्ट्री में स्कैनिंग शुल्क के रूप में प्रति पृष्ठ 20 फीसदी राशि भी व्यापारियों को नहीं देनी होगी। इसे एमडीडीए वहन करेगा या इसे शासन स्तर पर माफ किया जाएगा। वित्त ने व्यापारियों से शुल्क नहीं लेने पर सहमति जता दी है। अपर मुख्य सचिव आलोक जैन ने सहमति जताने की पुष्टि की।
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